गुप्त....
चित्र -गूगल -साभार |
( कारण, कार्य व प्रभाव गीत ....में एक कार्य , या कारण वर्णित किया जाता है तदुपरांत उसके व्यापक प्रभाव का वर्णन किया जाता है | )
अंधकार पर प्रकाश की जय,
दीपावलि का पर्व सुहाए |
धन, समृद्धि, सौभाग्य वृद्धि हित,
घर -घर लक्ष्मी -पूजन होता |
जग-जीवन से तामस हटाने ,
कितने दीपक जल उठते हैं ||
मन में प्रियतम का मधुरिम स्वर,
नव -जीवन मुखरित कर देता |
आशा औ आकांक्षाओं के ,
नित नव-भाव पल्लवित होते |
नेह का घृत, इच्छा- बाती युत ,
कितने दीपक जल उठते हैं ||
दीपशिखा सम छवि प्रेयसि की,
जब नयनों में रच बस जाती |
मधुर मिलन के स्वप्निल पल की ,
रेखा सी मन में खिंच जाती |
नयनों में सुन्दर सपनों के,
कितने दीपक जल उठते हैं ||
जब अज्ञान-तिमिर छंट जाता ,
ज्ञान की ज्योति निखर उठती है |
नए-नए विज्ञान-ज्ञान की,
नित नव राहें दीपित होतीं
मन में नव संकल्प भाव के,
good translation---thanks deepak anant
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